हेमकुंड साहिब का दस किमी आस्था पथ अभी भी कई फीट बर्फ से ढका हुआ है। घांघरिया और हेमकुंड साहिब में बर्फ से हुए नुकसान का जायजा लेने जा रही गुरुद्वारा प्रबंधन की टीम भी भारी बर्फबारी के चलते भ्यूंडार गांव से आगे नहीं बढ़ पाई है, जिससे टीम को लौटना पड़ा। अब गुरुद्वारा प्रबंधन की टीम 15 मार्च के बाद घांघरिया के लिए रवाना होगी।
उधर, बदरीनाथ हाईवे पर हनुमान चट्टी से आगे विशालकाय हिमखंड पसरे हुए हैं, जिससे बीआरओ को हाईवे खोलने में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। पिछले दिनों हुई भारी बर्फबारी के चलते बदरीनाथ हाईवे हनुमान चट्टी से आगे बंद हो रखा है। मौसम साफ होने के बाद से ही बीआरओ के जवान हाईवे खोलने में जुटे हुए हैं, लेकिन हाईवे पर इतने विशालकाय हिमखंड पसरे हुए हैं।
हेमकुंड साहिब के कपाट प्रतिवर्ष 25 मई को श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए जाते हैं। पिछले दो सालों से कोरोना संक्रमण के चलते हेमकुंड साहिब के कपाट समय पर नहीं खोले जा सके। हेमकुंड साहिब में बर्फबारी से हुए नुकसान का जायजा लेने के लिए तीन मार्च को गोविंदघाट गुरुद्वारे से गुरुद्वारा प्रबंधन कमेटी के वरिष्ठ प्रबंधक सरदार सेवा सिंह, राजदेव मेहता और गुरुद्वारे के तीन सेवादार घांघरिया के लिए रवाना हुए, लेकिन आस्था पथ पर भारी बर्फ जमी होने के कारण टीम को आधे रास्ते से ही लौटना पड़ा।
सरदार सेवा सिंह ने बताया कि भ्यूंडार गांव से ही बर्फ के दर्शन हो रहे हैं। यहां से रामडुंगी तक आस्था पथ पर लगभग दो से तीन फीट तक बर्फ जमी है। यहां रास्ते में करीब चार मीटर ऊंचा हिमखंड भी पसरा हुआ है। घांघरिया हेलीपैड पर भी दो से ढाई फीट तक बर्फ जमी है। घांघरिया में भी लगभग छह फीट तक बर्फ जमी हुई है। यहां गुरुद्वारा परिसर पूरी तरह से बर्फ से ढका हुआ है। उन्होंने बताया कि अब टीम दोबारा 15 मार्च के बाद घांघरिया में निरीक्षण को जाएगी।
बदरीनाथ हाईवे पर हनुमान चट्टी से आगे विशालकाय हिमखंड पसरे हुए हैं, जिससे बीआरओ को हाईवे खोलने में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। पिछले दिनों हुई भारी बर्फबारी के चलते बदरीनाथ हाईवे हनुमान चट्टी से आगे बंद हो रखा है।