प्रवीण ने बताया, उनके पिता कारोबारी और माता गृहिणी हैं। बचपन से उन्हें सेना में अफसर बनकर देश के लिए कुछ करने का सपना था। इसकी तैयारी उन्होंने छोटी कक्षा से ही शुरू कर दी थी।
छठवीं कक्षा में राष्ट्रीय मिलिट्री स्कूल धौलपुर में प्रवेश लेने के बाद वहां से पासआउट हुए तो उनका चयन एनडीए में हुआ। एनडीए में तीन साल के प्रशिक्षण के बाद एक साल पहले आईएमए में उन्होंने कड़ी मेहनत की। प्रवीण सिंह सेना में तृतीय सिखलाई बटालियन में कमीशंड हुए हैं।
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आईएमए से पासआउट होकर देश की सेवा में आए कैडेट्स में इस बार भी उत्तराखंड का बोलबाला रहा। कुल चार पदक विजेताओं की सूची में तीन नाम उत्तराखंड के रहे। इनमें भी दो कैडेट्स पिथौरागढ़ जनपद के रहने वाले हैं। सर्वश्रेष्ठ विदेशी कैडेट्स का अवार्ड इस बार पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश के कैडेट को प्रदान किया गया।
इन्हें मिला पुरस्कार
स्वार्ड आफ आनर व स्वर्ण पदक- प्रवीण सिंह आगरा उप्र
रजत पदक- मोहित कापड़ी पिथौरागढ़, उत्तराखंड
रजत पदक टीजी – विनय भंडारी पौड़ी गढ़वाल उत्तराखंड
कांस्य पदक -शौर्य भट्ट पिथौरागढ़, उत्तराखंड
चीफ आफ आर्मी स्टाफ बैनर-कोहिमा कंपनी
सर्वश्रेष्ठ विदेशी कैडेट- मोहम्मद नूर कुतुब उल आलम बांग्लादेश
भारतीय सैन्य अकादमी में आयोजित पासिंग आउट परेड के दौरान आफिसर कैडेट को संबोधित करते सेना के उत्तरी कमान के जनरल आफिसर कमांडिंग इन चीफ लेफ्टिनेंट जनरल एमवी सुचेंद्र कुमार ने अपने भाषण से युवा सैन्य अधिकारियों में जोश भरा। उन्होंने कहा, तकनीकी प्रगति के बीच युद्ध की प्रकृति भी तेजी से बदल रही है।
प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष, साइबर और सूचना क्षेत्रों में प्रगति, पारंपरिक उपकरणों की क्षमताओं में प्रगति, लगातार युद्ध का परिदृष्य बदल रही है। यह अधिक जटिल, संघर्षपूर्ण और घातक है। इन चुनौतियों का सामना करने के लिए भारतीय सेना तैयार है और हमें भी तैयार होना होगा।
लेफ्टिनेंट जनरल एमवी सुचेंद्र कुमार ने कहा, यह कहावत भी याद रखें कि मशीन के पीछे का व्यक्ति ही सबसे ज्यादा मायने रखता है। शारीरिक फिटनेस, मानसिक चपलता, तार्किक सोच, तकनीकी कौशल और खुद को परिस्थिति के अनुसार ढालने की क्षमता ही आपकी सफलता तय करेगी।
कैडेटों को बधाई देते उन्होंने कहा, यह वह क्षण है जो जीवनकाल में एक बार ही आता है। आपके भविष्य में किए जाने वाले प्रयासों के लिए भी यह प्रेरणा बनेगा। भारतीय सेना को अपने सैनिकों पर गर्व है। विश्व में सर्वश्रेष्ठ इन सैनिकों के पास युद्ध से प्राप्त ज्ञान और कई वर्षों का आपरेशनल अनुभव है। कैडेटों को उत्कृष्ट ड्रिल के लिए बधाई देते उन्होंने कहा, यह उनके कठोर परिश्रम और कड़े प्रशिक्षण का प्रतिबिम्ब है। मैं सेना की ओर से सभी 355 युवा सैन्य अधिकारियों का स्वागत करता हूं।